Loving Soul Marichika - 1 in Hindi Horror Stories by Satish Thakur books and stories PDF | प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 1

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प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 1

प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 01

ये बात आज से बहुत पहले की है जब सामाजिक कुरीतियों और वीभत्स प्रथाओं का समय हुआ करता था। उस समय एक राज्य था नागोनी होरा, ये एक आदिवासी राज्य था यहाँ उस समय सभी प्रकार की सामाजिक कुरीतियाँ और प्रथाएँ प्रचलन में थीं। इस राज्य के भौगोलिक आकर की वजह से इसका नाम नागोनी पड़ा क्योंकि उसका आकार ऐसा था जैसे कई सारी नागिन अपने बिल में से निकल कर भाग रही हों और इसका अंतिम नाम होरा यहाँ राज करने वाले आदिवासी राजा की जाति के आधार पर रखा गया।

यहाँ के राजा का नाम था तेम्बू होरा, वो यहाँ अपनी बेटी कस्तूरी, बेटा हलक और कई सारी पत्नियों के साथ रहता था, उसकी प्रमुख पत्नी का नाम सुहागा था। राजा तेम्बू को देख कर ही उसके क्रूर और वहसी होने का पता लगता था, उसका चेहरा कई जगह से कटा हुआ था पर एक निशान जो दाई आँख के ऊपर माथे से चालू होकर उसकी नाक को पार करता हुआ बाएँ गाल के आखिर तक जाता था, उसे देख कर कोई भी उसकी दहशत में आये बिना नहीं रह सकता था।

तेम्बू होरा के मंत्री भी उसी की तरह खूंखार और दरिंदे थे इनमें सबसे ज्यादा बदनाम और कमीना मंत्री था सुकैत, इसी राज्य में एक ओझा भी था जिसे बहुत सी काली शक्तियां प्राप्त थीं, राजा भी इसकी राय के बिना कोई काम नहीं करता था और पूरा राज्य इससे खौफ खाता था इसका नाम था हरेन। राजा अपने सभी काम बहुत ही गुप्त तरीके से किया करता था, यहाँ तक की इनका ये राज्य भी गुप्त था। सिर्फ नागोनी होरा के लोगों को ही इस राज्य के बारे में जानकारी थी इसके अलावा संसार और कोई भी नहीं जानता था की इस नाम का कोई राज्य भी है, और अगर कोई भूल से भटक कर इस राज्य की तरफ आ जाता था वो फिर बच कर बापस नहीं जा सकता था।  

कहने को तो नागोनी होरा एक राज्य था और तेम्बू होरा इस राज्य का राजा पर यहाँ होने वाले कामों को अगर आधार मानें तो ये एक आदिवासी कबीले की तरह ही था और तेम्बू इस कबीले का सरदार था, ये लोग काली माता के भक्त थे साथ ही बलि पूजा और नाग पूजा भी किया करते थे पर सबसे मुख्य पूजा थी प्रेत पूजा जिसे तांत्रिक हरेन किया करता था इस पूजा में स्त्रियों की बलि चढ़ाई जाती थी इसलिए इसे अधिकतर तब किया जाता था जब तेम्बू होरा किसी बस्ती या राज्य को लूट कर आता था।

नागोनी होरा में रहने बाले लोगों का मुख्य व्यवसाय लूट-पाट और अपहरण था। अपने आस-पास के राज्यों और बस्तियों को लूटना, मुसाफिरों को लूटना और उनकी स्त्रियों का अपहरण करना इसी से इनका जीवन-यापन होता था, लूट की सभी चीजों को पहले तेम्बू होरा के पास लाया जाता था जिसे तेम्बू पद और जरूरत के हिसाब से सभी में बाँट दिया करता था, लूट में उठा कर लाई गई लड़कियों में से सबसे खूबसूरत लड़की को तेम्बू अपने पास रखता था और फिर बची हुई लड़कियों को अपने मंत्री और बाकी लोगों में बाँट देता था।

जब भी ये लोग लूट-पाट करके बापस आते थे तब महल में जश्न का माहौल होता था, रात भर शराब और शबाब पुरे जोरों पर होता था, पर तेम्बू के गिने-चुने कुछ मंत्री और कुछ विश्वासपात्र लोगों के अलावा किसी ओर को वहां जाने की इजाजत नहीं थी, इन सभी जश्नों की तैयारी और उनमें होने वाले कामों को सफल बनाने की जिम्मेदारी एक शख्स पर होती थी वो था कुमार, ये न तो राज का मंत्री था और न ही राजमहल का कोई सदस्य पर राजा इसे अपना विश्वासपात्र समझते थे, आज के जश्न की तैयारी का जिम्मा भी कुमार के पास था, पर अब कुमार बूढ़ा होने लगा था और उसे किसी साथी की जरूरत थी जो उसके इस काम में उसका साथ दे सके।

कुमार चाहता था की उसका बेटा सुभ्रत इस काम में उसका साथ दे पर ये बात तेम्बू से कहते समय उसे डर लगता था क्योंकि इस राज्य के नियमों के हिसाब से कोई भी बाहरी व्यक्ति राज्य में होने वाले किसी भी काम का हिस्सा नहीं बन सकता था खासकर जश्न का, वैसे तो कुमार ने सुभ्रत को बचपन से ही पाला था, पर वो उसका बेटा नहीं था।

उसे आज भी अच्छी तरह से याद है आज से करीब पन्द्रह या सोलह साल पहले एक दिन जब तेम्बू मुसाफिरों के काफिले को लूट कर आया था उस समय उसके साथ एक बच्चा भी आ गया था जो वहां होने वाले कत्लेआम से डर कर धोके से तेम्बू की गाड़ी में छुप कर बैठ गया और नागोनी होरा पहुँच गया था। जब तेम्बू के दरिंदे मंत्रियों ने उसे देखा तो बहुत मारा और एक घोड़े के साथ बाँध दिया। बहुत समय तक करीब छह से सात महीने तक वो भूखा, प्यासा कभी घोड़े के साथ कभी बैल के साथ बाँध दिया जाता और हर आता जाता व्यक्ति उसे हिकारत की नज़र से देखता।

एक दिन कुमार राजा तेम्बू के दरबार में आया और कहा की “मालिक अगर जान बख्शी जाए तो कुछ कहना चाहता हूँ”

तेम्बू जो की एक तख़्त पर ऊपर की ओर बैठा था बोला “कहो क्या कहना चाहते हो कुमार”

“सरदार में उस लड़के के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ जो कुछ समय पहले हमारे राज्य में धोके से आ गया था” कुमार ने कहा।

तेम्बू बहुत ही सख्त चेहरा करके तेज आवाज में बोला “कुमार तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं है, ये काम तुम्हारा नहीं है, बंदियों के बारे में बात करने के लिए मेरे पास मेरे मंत्री हैं, तुम्हें जो काम दिया गया है, तुम उस पर ध्यान दो”

कुमार डर से कांप गया पर फिर भी थूक निगलते हुए बोला “सरकार मेरी शादी को बारह साल हो गए हैं पर मालिक आज तक में और मेरी पत्नी को संतान का चेहरा देखना नसीब नहीं हुआ जितनी बार भी कोशिश की कभी बच्चा पेट में ही मर गया और कभी जन्म लेते ही मर गया”

“तो तुम चाहते हो की वो बच्चा तुम्हें दे दिया जाए जिससे की तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को बच्चे का सुख मिल सके और बुढ़ापे की एक उम्मीद, सही कहा मैंने” तेम्बू कुमार की बात पूरी सुने बिना ही बोल पड़ा।

क्रमशः प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 02

लेखक : सतीश ठाकुर